रक्षा बंधन कब का है | रक्षा बंधन 2023 मुहूर्त टाइम | रक्षा बंधन 2023 कब है | रक्षाबंधन कब और कैसे शुरू हुआ | रक्षाबंधन कब है 2023 | रक्षाबंधन कितने तारीख को है | रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएं
जानिए रक्षा बंधन क्यों मनाया जाता है इस लेख में हम आपको रक्षा बंधन का महत्व और परंपराओं के बारे में बता रहे हैं। रिश्तों के पवित्रतम बंधन को समझें और जानें क्यों मनाया जाता है रक्षा बंधन? रक्षा बंधन जल्दी आ रहा है। इस खबर से बहुत सी बहनों की आँखों में खुशी छाई जाती है। और क्या कहना, यह भाई-बहन का रिश्ता ही ऐसा होता है जिसका मान सिर्फ शब्दों में नहीं किया जा सकता।
यह रिश्ता इतना पवित्र होता है कि इसका सम्मान पूरी दुनिया में किया जाता है। तो चलिए, जानते हैं इस खास मौके को और भी खास बनाने के तरीके। शायद किसी को यह नहीं पता होगा कि रक्षा बंधन का अर्थ क्या होता है और इसे कैसे मनाया जाता है, इसलिए मैं आपको इसके बारे में थोड़ी जानकारी देना चाहता हूँ। भारत, जिसे संस्कृतियों की अद्वितीय भूमि के रूप में जाना जाता है, ने इस रिश्ते को अपने विशिष्ट महत्व और पहचान के साथ यादगार बना दिया है।
रक्षा बंधन नामक इस पर्व का महत्व इतना उच्च है कि यह एक प्रमुख त्योहार के रूप में मनाया जाता है। हां, दोस्तों, मैं आपको रक्षा बंधन के बारे में बता रहा हूँ। साथ ही रक्षा बंधन का इतिहास के बारे में भी जानेंगे। इस खास पर्व “रक्षा बंधन” को श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, जो कि आमतौर पर अगस्त महीने में आता है। तो बिना देरी किए चलिए शुरू करते हैं।
रक्षा बंधन का मतलब – रक्षा बंधन को क्यों मनाया जाता है
रक्षा बंधन पर्व का नाम दो शब्दों, ‘रक्षा’ और ‘बंधन’, के संयोजन से प्राप्त हुआ है। इस पर्व का अर्थ होता हैं, ‘वह बंधन जो रक्षा देता है’ अनुभव। यहाँ ‘रक्षा’ का मतलब होता है सुरक्षा प्रदान करना और ‘बंधन’ का मतलब होता है एक बांधन, एक बंधन जो सुरक्षा प्रदान करता है।
ये दो शब्द मिलकर एक भाई-बहन के बंधन का प्रतीक होते हैं। इन प्रतीकों का मतलब सिर्फ खून के रिश्तों में नहीं होता, बल्कि यह एक पवित्र रिश्ते को भी दर्शाते हैं। यह खुशी का त्योहार होता है जो भाई-बहन के प्यार को बढ़ावा देता है, और भाईयों को यह याद दिलाता है कि उन्हें हमेशा अपनी बहनों का साथ और समर्थन देना चाहिए।
रक्षा बंधन, जिसे हम भाई-बहन के पवित्र बंधन का प्रतीक मानते हैं, वह विशेष त्योहार है। यह न केवल हमें भाई-बहन के आपसी रिश्ते की महत्वपूर्णता को याद दिलाता है, बल्कि खुशियों का भंडार भरकर लाता है। इसके साथ ही, यह भी एक संकेत होता है कि हमारे भाईयों की देखभाल और संरक्षण करना हमारी जिम्मेदारी है।[1]
रक्षा बंधन क्यों मनाया जाता है वीडियो देखे
रक्षा बंधन का इतिहास – Real History of Raksha Bandhan

रक्षाबंधन का पर्व भारतवर्ष भर में उत्साह और हर्ष के साथ मनाया जाता है। यह एक ऐसा उत्सव है जिसमें धनी-गरीब, सभी वर्गों के लोग भाग लेते हैं। हिंदी की इस खास परंपरा के रूप में, राखी के पीछे भी एक रूचिकर इतिहास है, जिसमें कहानियाँ और किस्से अपने आप में प्रिय हैं। चलिए, जानें कि रक्षाबंधन की शुरुआत कैसे हुई।
- राखी त्योहार की सबसे प्राचीन कथा सन् 300 ईसा पूर्व में घटित हुई थी। उस समय, जब अलेक्जेंडर ने भारत को जीतने के लिए अपनी बड़ी सेना सहित यहाँ आया था। उस समय, भारत में सम्राट पोरस की महत्वपूर्ण भूमिका थी, जिनका प्रभाव बहुत महत्वपूर्ण था। जबकि अलेक्जेंडर ने पहले कभी हार नहीं मानी थी, वह सम्राट पोरस की सेना के साथ युद्ध करते समय कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
जब एलेक्जेंडर की पत्नी को रक्षा बंधन के बारे में पता चला, तो उन्होंने सम्राट पोरस के लिए एक राखी भेजी थी, जिससे कि वह एलेक्जेंडर के खिलाफ कोई कठोर कदम ना उठाएं। उसी समय, पोरस ने भी अपनी बहन की सलाह का पालन किया और एलेक्जेंडर पर कोई आक्रमण नहीं किया।
- रक्षा बंधन का इतिहास की अगली कहानी है रानी कर्णावती और सम्राट हुमायूँ की कहानी एक ऐतिहासिक महत्वपूर्ण घटना है। यह घटना उस समय की है जब राजपूत शासक मुस्लिम राजाओं के खिलाफ अपने राज्य की रक्षा के लिए संघर्ष कर रहे थे। इस संघर्ष में रानी कर्णावती ने बहादुर साह से अपने राज्य चित्तोड़ की रक्षा के लिए मदद मांगी।
उन्होंने अपने शक्तिशाली भाई सम्राट हुमायूँ से सहायता प्राप्त की। इस परियाप्त बल से हुमायूँ ने चित्तोड़ पहुँचकर रानी की सहायता की और उनके राज्य की रक्षा की। इस साहसी कदम से बहादुर साह की सेना को पीछे हटने का सामना करना पड़ा और चित्तोड़ बच गया। यह कहानी बताती है कि रिश्तों की महत्वपूर्णता और साहस से कैसे एक समृद्ध इतिहास बन सकता है।
- भविष्य पुराण में उल्लिखित है कि एक समय की बात है, जब असुरों के राजा बाली ने देवताओं के खिलाफ आक्रमण किया था। इस हमले में देवराज इंद्र को बहुत नुकसान हुआ था। इस परिस्थिति को देखकर इंद्र की पत्नी सची ने अपने मन में विचार किया और वह विष्णु भगवान की शरण गई ताकि उन्हें इस समस्या का समाधान मिल सके।
इस प्रसंग में, भगवान विष्णु ने एक सूत्र सची को सौंपा और उन्होंने कहा कि वह इस सूत्र को अपने पति की कलाई पर बांध दें। सची ने इस आदेश का पालन किया और जब वहने वह सूत्र बांध दिया, तो इंद्र ने राजा बाली को पराजित किया।
इसलिए प्राचीनकाल में युद्ध के लिए जाने से पहले राजाओं और उनके सैनिकों ने अपनी पत्नियों और बहनों के हाथों में राखी बांधकर उनकी सुरक्षा की थी, जिससे कि वे सफलतापूर्वक युद्ध से लौट सकें।
- अगली कहानी कुछ इस प्रकार है। व्यक्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए, भगवान कृष्ण ने दुष्ट राजा शिशुपाल को युद्ध में मार डाला था। इस युद्ध के समय, कृष्ण भगवान की अंगूठी में एक गहरी चोट आई थी, लेकिन द्रौपदी ने अपने वस्त्र का उपयोग करके उनके खून की बहने को रोक लिया था।
इस कार्य से भगवान कृष्ण बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने द्रौपदी के साथ एक भाई-बहन का रिश्ता बनाया। उन्होंने वादा किया कि वे समय आने पर उनकी मदद अवश्य करेंगे।
बहुत सालों बाद, जब द्रौपदी को कुरु सभा में जुए के खेल में हारना पड़ा, तो कौरवों के राजकुमार दुहसासन ने उनका चीरहरण करने का प्रयास किया। इस पर कृष्ण ने द्रौपदी की सहायता की और उनकी गरिमा की रक्षा की।
कुछ पूछे जाने वाले महत्वपूर्ण प्रश्न
रक्षा बंधन क्यों मनाया जाता है ?
रक्षाबंधन भाई बेहन के प्यार का प्रतिक माना जाता है। इस दिन बेहन अपने भाई को राखी बांधकर उसकी लम्बी उम्र की कामना करती है और भाई भी अपनी बेहेन को यह वचन देता है कि वह उसके लिए हमेशा रक्षा कवच बन कर खड़ा रहेगा।
रक्षा बंधन कितनी तारीख की है ?
इस वर्ष रक्षा बंधन का त्यौहार 30 अगस्त 2023 को मनाया जायेगा।
रक्षाबंधन शुभ मुहूर्त कब है ?
रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त 30 अगस्त बुधवार के दिन सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक का बताया जा रहा है।
रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएं शेयर करें
1– मेरी प्रिय बहन,
जीवन के सुख-दुख में साथ बिताना है सच्ची खुशियों का आनंद तुम्हारे बिना अधूरा है। तुम मेरे लिए एक अनमोल रत्न हो, जिससे मैं सदैव गर्व करता हूँ। तुम्हारी ममता, संजीवनी भाषा की तरह है, जो मेरे दिल की बातों को समझ जाती है। तुम्हारे बिना मेरा जीवन अधूरा सा लगता है। तुम्हारी मुस्कान से ही मेरे चेहरे पर खुशियाँ खिलती हैं। तुम मेरी शक्ति हो, मेरी सहायक हो
2 – रेशम की एक डोरी, जिसमें फूलों की तरह चमकते हुए हार बनी है, वो सुंदर सावन के मौसम में आया राखी के प्यारे त्योहार को संबोधित करता है। यह एक ऐसा समय है जब बहन की हर्षिति और प्यार से भरी हुई है, और उसके भाई की भी ख़ुशी इसके साथ है, जैसे दोनों के दिलों में अद्भुत प्यार की मिठास बसी हो।
रक्षाबंधन कब है 2023 में शुभ मुहूर्त
इस बार रक्षाबंधन की तारीख के संबंध में फिर से उलझन उत्पन्न हो गई है। वास्तविक रूप से, इस साल भद्रा मास के कारण रक्षाबंधन की तारीख पर मतभेद हो रहा है, क्योंकि लोग 30 और 31 अगस्त को इसे मनाने की बात कर रहे हैं। रक्षाबंधन का यह त्योहार प्रतिवर्ष पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, जिसमें बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं।
यदि रक्षाबंधन के दिन भद्रा मास में आता है, तो बहनों को उस समय अपने भाइयों की कलाई पर राखी नहीं बांधनी चाहिए, क्योंकि भद्रा काल में राखी बांधना अशुभ माना जाता है। इस पर्व को 30 या 31 अगस्त को कैसे मनाना चाहिए, आइए इसके बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करें।
इस वर्ष, शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा दिनांक 30 अगस्त को सुबह 10:58 बजे से आरंभ हो रही है। पूर्णिमा तिथि का समापन 31 अगस्त को सुबह 7:05 बजे होगा। इस परिस्थिति में, रक्षाबंधन का उत्सव 30 अगस्त को ही मनाया जाएगा.
निष्कर्ष
इस लेख में, हमने देखा कि रक्षा बंधन क्यों मनाया जाता है और इसका महत्व क्या है। यह परंपरा न केवल भाई-बहन के प्यार का प्रतीक है, बल्कि हमारे सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्यों का प्रतीक भी है। रक्षा बंधन के इस खास मौके पर, हम सभी को अपने परिवार और रिश्तेदारों के साथ समय बिताने का एक अद्वितीय और यादगार मौका मिलता है। इसके साथ ही, यह हमें भाई-बहन के प्यार और समर्पण की महत्वपूर्ण शिक्षा देता है।
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